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भयावह भारत!! वाह रे सरकार, वाह रे सरकारी नीतियाँ….वाह रे जनता.

राकेश मिश्र कानपुर
राकेश मिश्र कानपुर
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प्रिय बन्धु इस लेख के माध्यम से मेरा कहने का आशय क्या है, . स्पष्ट कर देता हूँ . मैंने उल्लेख किया वाह री सरकार, वाह री सरकारी नीतियाँ, वाह री जनता.. मेरा उद्देश्य सामाजिक लक्ष्यों की प्राप्ति की विफलता में तीनो की उत्तरदायिता का मूल्याङ्कन है न की किसी दल या किसी व्यक्ति विशेष में,
आप सभी से सविनय निवेदन है की आजादी से अब तक सामाजिक सन्दर्भों में तमाम असफलताओं कार्यों का मूल्याङ्कन करके .कृपया अपने स्तर से, सरकारी नीतियों के स्तर से, या सरकार के स्तर से इन बिन्दुओं पर प्रकाश डाले.

१. निर्धन वर्ग की बढती आबादी और बदहाली ..
गरीबी रेखा के निचे की आबादी १३ गुना बढ़ी है आजादी के बाद से… इस अतुल्य वृद्धि पर बधाई. गरीबों का  दर्द सरकार की घिनौनी सूरत दिखता है….भारत में लोकतंत्र आम जनता की चेतना के विकास से नहीं आया। यहां के हायर और मिडिल क्‍लास के चुनिंदा नेताओं के हाथ अंग्रेज सत्‍ता सौंप कर चले गये। दरअसल जिसे आजादी कहते हैं वह महज सत्‍ता का हस्‍तांतरण था। ट्रांसफर आफ पावर। बोया पेड़ बबूल का आम कहां से होय। आजादी की जो परिभाषा शहीद भगत सिंह ने दी थी उसके मुताबिक आजादी का मतलब पुरुषोत्‍तम दास और तेज बहादुर सप्रू के हाथों सत्‍ता आनी नहीं है। आजादी मतलब है किसानों और मजदूरों का राज। भगत सिंह की परिभाषा के हिसाब से आजादी आई ही नहीं।
पांच वर्ष में संसद या विधानसभा का चुनाव होना ही लोकतंत्र नहीं है। हर चुनाव के साथ कुछ और अपराधी, दलाल जनतंत्र का प्रतीक कहीं जाने वाली इन संस्‍थाओं में पहुंच जाते है। पिछले 63 बरस में सबसे ज्‍यादा तबाह किसान हुयें हैं। मजदूरों की तो मत पूछिये अब उनकी बात करना भी गुनाह है। श्रम कानून बेमतलब हो गये। नियोजक जब तक चाहे रखे जब चाहे निकाल दें। जो इनकी बात करे उसके खिलाफ विकास विरोधी होने का आरोप लगा दीजिये। इनकी लड़ाई लडि़ये तो आपको माओवादी भी कहा जा सकता है।

और ये जो औद्योगिक नीतियों की ढपली आप बजा रहे हैं, मई आपको बता दूँ की भारत की जो आबादी 33 करोड़ थी आज वो १२० करोड़ है आबादी में बढ़त ४ गुना, और गरीबी रेखा के नीचे की आबादी में जो इजाफा हुआ है वो लगभग 13 गुना… वाह रे सर्कार और वाह रे सरकारी नीतियाँ.

२. भ्रष्टाचार का संवर्धन.
न्यायालय ने कहा की 90 % अधिकारी भ्रष्ट… माननीय न्यायालय ने सजा कितने लोगो को दी.??

३. कश्मीर मुद्दा

दोमुही राजनीति की देन .. विवादित कश्मीर .. राष्ट्रद्रोह बन गया… अलगाववाद…

४ सांप्रदायिकता  ,नक्सलवाद    ,आतंकवाद इत्यादि

५. वर्तमान शिक्षा व्यवस्था. और वे मुद्दे जो सामाजिक संदर्भो में विफलता की कहानी कहते हैं जैसे की भोपाल गैस कांड. भोपाल गैस कांड के सजा के हिस्सेदार

मै सरकार की विफलता को उपरोक्त सभी असफलताओं के लिए प्रमुख उत्तरदायी मानता हूँ. मेरा ये विचार नितांत व्यक्तिगत है.. आप अगर समर्थन करें तो मुझे कोई आपत्ति न होगी परन्तु सामाजिक संदर्भो की अनदेखी करके नहीं….
और अगर आप कहते हैं की आपके तथाकथित विकास के बाधक सांप्रदायिकता  ,नक्सलवाद    ,आतंकवाद इत्यादि  हैं तो ये आपकी समुदाय विशेष के तुष्टिकरण, वर्ग विशेष की उपेक्षा और और लक्ष्यविहीन राजनीती के परिणाम हैं.. ६३ साल में अथाह शक्ति रही और उसका अत्यंत घटिया दोहन किया गया.

Our le ader parties..  choose from sick, sicker, sickest
मुझे बीजेपी (BJP) या कांग्रेस में कोई खास दिलचस्पी नहीं है है.. पर कांग्रेस के चरित्र पर पूर्ण रूप से सहमत हूँ…..राष्ट्रवाद का अभाव गाँधी-नेहरु युग की देन है. इस दश को गाँधी-नेहरु और उनसे जुड़े हुए कथित धर्म निरपेक्ष नेताओं ने सिर्फ भ्रान्तिया फैलाई हैं.. भारतवर्ष को INDIA बनाया है और भारत को मैकाले का अंधभक्त., संक्षेप में कहें तो जनता में अविश्वास पैदा किया..भारतवर्ष की मौलिकता की हत्या के दोषी हैं ये लोग जिन्होंने पश्चिम की नक़ल और समुदाय विशेष के तुष्टिकरण को ही अपने और अपनी राजनीति के चरित्र के रूप में स्वीकार किया है और जनमानस को बाध्य किया है. बिलकुल मैकाले की तरह बहुत सोची समझी कूटनीति रही है. संविधान से लेकर ज्ञान विज्ञानं तक सब नक़ल है कृषि उद्योग व्यापर सब कहीं न कहीं से उधर लिया है… जिसने जनता की नसों को कमजोर और खून को पानी कर दिया है.. अपनी मैलिकता, अपना वजूद, अतुल्य भारत सब पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया…जनता तो अबोध है..अगर शेर के बच्चे को भी भेड़ बकरी के साथ पला जाये तो वह भी अपना वजूद भूल जायेगा … वो भी डरने लगेगा… यहाँ तो पीढियां जीती रही हैं.

तो भाई इस व्‍यवस्‍था का स्‍यापा करने की जरूरत नहीं है। लोग इसे खुद ही बदल डालेंगे। वे अपने रहनुमा भी चुन लेंगे। इतिहास में जो व्‍यवस्‍था बहुसंख्‍य जनता की विरोधी रही है उन्‍हें जनता ने ही पलट दिया है। सारी तोपे तलवारे धरी की धरी रह गयी। अब हमको आपकों तय करना है कि किसके साथ खड़े होगे.

जनता जनार्दन की भी जय !!!

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