राकेश मिश्र कानपुर
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आजाद भारत सरकार में सबसे पहले अगर हिंदुत्व के संगठनो को किसी ने आतंकवादी या कट्टरवादी, राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त कहा तो वह थे सरदार वल्लभ भाई पटेल, पटेल ने ही प्रतिबन्ध भी स्वीकार किये थे. इस आशय का एक पत्र उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भी दिया था.. गुजरात में नरेन्द्र मोदी का सरदार पटेल की महाकाय मूर्ति बनवाना क्या यह साबित नहीं करता की उन्हें आर.एस.एस या हिन्दू महाभा को लेकर कोई न कोई संशय या है. क्या मोदी या आर.एस.एस.कभी ये मुखौटा उतरेंगे?इतिहासकार सरदार पटेल की पीठ ठोंकते नहीं अघाते हैं. क्या रियासतों का एकीकरण जरुरी था? यदि देश की रियासतें अपने आप में स्वतंत्र आर्थिक इकाई थे तो उनके एकीकरण का औचित्य क्या था? उन बेचारे राजाओं का पैसा तो अंग्रेज उधार मांग कर ले गए और राजनैतिक ताकत सरदार ने एकीकरण करके ले ली. अब यह भी जान लीजिये की डोमिनियन स्टेट की स्थिति में भारतीय संसद के प्रथम राजनेता कहीं किसी लोकतान्त्रिक प्रक्रिया से चुन के नहीं आये थे. या तो वे अंग्रेजों के नौकरशाह थे या आज़ादी की लड़ाई में अंग्रेजों के मुहलगे नेता. और इतिहासकार भी अंग्रेजों के बंधुआ मानसिक मजदुर या मानस पुत्र , जिन्होंने इतिहास की लीपापोती करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. सर्वविदित है कि प्रारंभिक वर्षों में भारतीय संसद का फैसला अनंतिम होता था. अर्थात ब्रिटिश मुहर लगने के बाद ही उसको अंतिम माना जाता था. तो क्या यह माना जाए की सरदार पटेल ने रियासतों का एकीकरण ब्रिटिश शासकों को भारतीय राजाओं की देनदारी से छुटकारा दिलाने के लिए किया या भारतीय सन्दर्भों में कोई पूर्वाकलन किया गया था?सरदार पटेल वह व्यक्ति जिसने भारत वर्ष के एकीकरण में इसका ख्याल नहीं रखा की क्षेत्रीय विभिन्नताएं और भौगोलिक परिस्थितियां सांस्कृतिक विरासत और क्षेत्रीय अर्थशास्त्र के सबसे बड़े तत्व हैं , ऐसे व्यक्ति को प्रधान मंत्री बनाने का सपना आज भी लोग देखते हैं. तो क्या राजनितिक शक्तियों के एकीकरण की सबसे बड़ी चाल के तौर पर रियासतों के एकीकरण से देश का सबसे ज्यादा बंटाधार सरदार पटेल ने ही किया.....?? क्या बेहतर नहीं होता की यह देश भारत गणराज्य यानि इंडिया न हो के संयुक्त भारत गणराज्य होता. ?सत्ता शक्ति का विकेंद्रीकरण आज के भ्रष्टाचार के उन्मूलन की सबसे बड़ी जरुरत है.
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