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क्या एन जी ओ को लोकपाल से बचाने के लिये अरुण जेटली ने पैसे खायें ?

राकेश मिश्र कानपुर
राकेश मिश्र कानपुर
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एन जी ओ ट्रस्ट , तोपपाल से बाहर हों: भाजपा

यह है भाजपा का विचार जो उसके नेता अरूण जेटली ने राज्यसभा में प्रस्तुत किया ।

 

भाजपा ने राज्यसभा में बहस के दौरान एन जी ओ और ट्रस्ट को लोकपाल के दायरे से बाहर रखने की ्बात की और उसके नेता अरूण जेटली ने अपने तर्क के पीछे कारण बताया कि इनको लोकपाल के दायरे में रखने का अर्थ होगा निजता में हस्तक्षेप । अरुण जेटली एक अधिवक्ता हैं, अगर किसी और सांसद ने यह बात कही होती तो क्षम्य था लेकिन कोई अधिवक्ता यह बोले , आश्चर्य है । एन जी ओ का निबंधन सोसायाटी रजिस्ट्रेशन एक्ट १८६० की धारा २१ के तहत होता है । सरकार के खाते में एक निर्धारित शुल्क जमा करने के बाद , निबंधन से संबधित कागजात निबंधन विभाग के पास जमा किया जाता है । किसी भी निबंधित संस्था के कागजातों की सच्ची प्रतिलिपी  कोई भी व्यक्ति एक तयशुदा रकम देकर हासिल कर सकता है । जब कोई भी व्यक्ति इसे हासिल कर सकता है तो यह निजी कैसे हुआ। यह पब्लिक डाक्यूमेंटस की श्रेणी में आ गया ।

 

अब एक और उदाहरण देता हूं । आर टी आई एक्ट में भी निजता की रक्षा का प्रावधान है । किसी तिसरे आदमी के बारे में सूचना नही दी जा सकती , जबतक की मांगी गई सूचना व्यापक जनहित में न हो ।

 

अब अरूण जेटली बतायें क्यों विरोध किया । एक और उदाहरण , एन जी ओ को एफ़ सी आर ए के तहत गर्‍ह मंत्रालय से निबंधन कराने के बाद विदेश से भी चंदा या दान लेने का अधिकार मिल जाता है ।  और उन चंदा प्राप्त करने वालों को हर साल गर्‍ह मंत्रालय के पास रिएटन दाखिल करना पडता है कि कितना चंदा और कहां से मिला।

 

सिर्फ़ दिल्ली में वर्ष २०११ में एक करोड से ज्यादा की रकम प्राप्त करने वाले  एन जी ओ की संख्या १६९ है ।

भाजपा भी पहले से यह आरोप लगाती रही है कि बहुत सारे एन जी ओ विदेश से प्राप्त दान का उपयोग राष्ट्रविरोधी कार्यों के लिये करते हैं । अब जब विदेश से दान लेनेवाले एन जी ओ को लोकपाल से दायरे में रखने की बात उठी तो अरूण जेटली ने विरोध कर दिया । अरूण जेटली साहब को पता है सीआईए भी अपने राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिये एन जी ओ माध्यम से पैसा भेजता है । अरूण जेटली महोदय को बताना चाहिये कि क्या एन जी ओ लोकपाल के दायरे में लाने का विरोध सीआईए के इशारे पर आप कर रहे हैं या फ़िर १६९ एन जीओ से एक एक लाख रुपया यानी एक करोड उनहत्तर लाख रुपया खाकर आप कर रहे हैं। महोदय बचना कठिन है । मैं यह किसी किमत पर नही मान सकता कि बिना कारण आप एन जी ओ लोकपाल के दायरे में लाने का विरोध कर रहे हैम जबकि आपका हीं दल पहले से एन जी ओ को विदेश से मिलने वाले दान के बारे में प्रश्न उठाता रहा है । यहां मैं दिल्ली के उन एन जी ओ की सूची दे रहा हूं जिन्होने वर्ष २०११ में विदेश से एक करोड रुपये से ज्यादा दान प्राप्त किया है । ।सबसे अंतिम कालम में दान में मिली रकम है।
अरुण जेटली महोदय क्या मेरा यह कदम निजता में दखल नही है  ?
इसके बाद मैं एक एक एन जी ओ के बारे में डिटेल्स दुंगा कि किसको कितना पैसा मिला ।

सौजन्य एमव साभार :

http://biharmedia.blogspot.com/2011/12/blog-post_30.html?utm_source=BP_recent

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