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बलात्कार बनाम बाज़ार का बवंडर

राकेश मिश्र कानपुर
राकेश मिश्र कानपुर
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पहले आप इन लाइनों को ठीक से पढ़ लें फिर आगे की चर्चा की जाए…….

MAIN HOON BALATKAARI !!!!
Raat ko nikali naari

hui gadi pe savaari

par voh raat usko pad gayi bhari.

Peeche se aaya main

utari uski saari

kachchi phadi

lungi gaadi

aur g***d maari.

Kyunki main……….

Kyunki main……….

Kyunki main hoon ek balatkari

Kyunki main……….

Kyunki main……….

Kyunki main hoon balatkari..

एक अरसे से हनी सिंह के गाली गलौज और कामुकता से भरे फूहड़ गाने और विडियो  युवाओं के मोबाइलों का खजाना बने हुए हैं। वे युवा और युवतियां इन प्रेरकों से उत्पन्न भावावेशों को लोकमर्यादा के आगे जाकर रोज गार्डन में व्यक्त करते दिख जाते हैं। लेकिन उन सुरक्षा कर्मियों और सफाई वालों के नज़रिए से जब आप देखेंगे तो ऐसे कार्यकलापों से क्या मनोभाव बनते बिगड़ते हैं जरा उसका भी ख्याल करिए तो बहुत कुछ साफ़ हो जायेगा। जब तक समाज इस प्रकार की अभिव्यक्तियों को स्वीकार करने को तैयार न हो तब तक ध्वंसात्मक परिणाम ही नज़र आते रहेंगे। कानून या कानून के रखवालों पर नज़र डालिए तो और भी बहुत कुछ साफ़ हो जाता है। कुछ समय पूर्व एक वरिष्ठ महाराष्ट्र के पुलिस अधिकारी के मातहतों की करतूत कुछ यूँ रही कि पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में 11 लड़कियाँ गर्भवती हो गईं ।  शायद उनको रोजगार की कीमत पर लड़ना संभव नहीं लगा।

अब इमानदारी से बताएं कि बलात्कार का दोषी  बाज़ार को या बाजारवादी व्यवस्था को क्यों न कहा जाए?

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